ठंडी आई, ठंडी आई,
ओढ़ो कम्बल और रजाई।
कोहरे ने जग लिया लपेट,
गाड़ी नौ – नौ घण्टे लेट।
हवाई जहाज की शामत आई।
ठंडी आई, ठंडी आई।
पानी छूने से डर लगता,
हाथ तापने को मन करता।
आग जला कर तापो भाई,
ठंडी आई, ठंडी आई।
बन्द हुईं बच्चों की शाला,
ठंडी ने क्या- क्या कर डाला।
घर पर लड़ते बहना भाई।
ठंडी आई, ठंडी आई।
बात करो तो धुँआ निकलता,
चुप रहने से काम न चलता।
कैसी ईश्वर की चतुराई।
ठंडी आई, ठंडी आई।
देखो कैसा बना बगीचा,
हरी घास पर श्वेत गलीचा।
फूलों की आभा मन भाई।
ठंडी आई, ठंडी आई।
फसलों को पाले gने मारा,
बेबस हुआ किसान बिचारा।
उसके घर तो आफत आई।
ठंडी आई, ठंडी आई।
और झोंपड़ी अकुलाती है,
दुख-सुख तो सब सह जाती है।
पर ठंडी वह सह ना पाई।
ठंडी आई, ठंडी आई।
Happy winter.....
Wednesday 31 December 2014
ठंडी आई ठंडी आई
Samaj ki ak hakikat ka aaina
समाज की एक
कड़वी हक़ीक़त:-जिसके गवाह हम सब
हैं, जिसके ज़िम्मेदार हम सब हैं।यह दर्दनाक घटना एक परिवार
की है। जिसमें परिवार का मुखिया,
उसकी पत्नी और दो बच्चे थे। जो जैसे तैसे
अपना जीवन घसीट रहे थे।घर
का मुखिया एक लम्बे अरसे से बीमार था।
जो जमा पूंजी थी वह
डॉक्टरों की फ़ीस और दवाखानों पर लग
चुकी थी। लेकिन वह
अभी भी चारपाई से लगा हुआ था। और
एक दिन इसी हालत में अपने बच्चों को अनाथ कर इस
दुनिया से चला गया।रिवाज़ के अनुसार तीन दिन तक पड़ोस
से खाना आता रहा, पर चौथे दिन भी वह
मुसीबत का मारा परिवार खाने के इन्तजार में रहा मगर
लोग अपने काम धंधों में लग चुके थे, किसी ने
भी इस घर की ओर ध्यान
नहीं दिया।बच्चे अक्सर बाहर निकलकर सामने वाले
सफेद मकान की चिमनी से निकलने वाले धुएं
को आस लगाए देखते रहते। नादान बच्चे समझ रहे थे कि उनके
लिए खाना तैयार हो रहा है। जब भी कुछ
क़दमों की आहट आती उन्हें लगता कोई
खाने की थाली ले आ रहा है। मगर
कभी भी उनके दरवाजे पर दस्तक न हुई।
माँ तो माँ होती है, उसने घर से रोटी के कुछ
सूखे टुकड़े ढूंढ कर निकाले। इन टुकड़ों से बच्चों को जैसे तैसे
बहला फुसला कर सुला दिया।अगले दिन फिर भूख सामने
खड़ी थी। घर में
था ही क्या जिसे बेचा जाता, फिर
भी काफी देर "खोज" के बाद चार
चीज़ें निकल आईं। जिन्हें बेच कर शायद दो समय के
भोजन की व्यवस्था हो गई। बाद में वह
पैसा भी खत्म हो गया तो जान के लाले पड़ गए। भूख
से तड़पते बच्चों का चेहरा माँ से देखा नहीं गया। सातवें
दिन विधवा माँ ही बड़ी सी चादर
में मुँह लपेट कर मुहल्ले की पास
वाली दुकान पर जा खड़ी हुई।दुकानदार से
महिला ने उधार पर कुछ राशन माँगा तो दुकानदार ने साफ इंकार
ही नहीं किया बल्कि दो चार बातें
भी सुना दीं। उसे खाली हाथ
ही घर लौटना पड़ा। एक तो बाप के मरने से अनाथ होने
का दुख और ऊपर से लगातार भूख से तड़पने के कारण उसके सात
साल के बेटे की हिम्मत जवाब दे गई और वह बुखार
से पीड़ित होकर चारपाई पर पड़ गया। बेटे के लिए
दवा कहाँ से लाती, खाने तक
का तो ठिकाना था नहीं। तीनों घर के एक कोने
में सिमटे पड़े थे। माँ बुखार से आग बने बेटे के सिर पर
पानी की पट्टियां रख
रही थी, जबकि पाँच साल
की छोटी बहन अपने छोटे हाथों से भाई के
पैर दबा रही थी। अचानक वह
उठी, माँ के कान से मुँह लगा कर के
बोली "माँ, भाई कब मरेगा???"माँ के दिल पर तो मानो जैसे
तीर चल गया, तड़प कर उसे छाती से
लिपटा लिया और पूछा "मेरी बच्ची, तुम यह
क्या कह रही हो?"बच्ची मासूमियत से
बोली,"हाँ माँ ! भाई मरेगा तो लोग खाना देने आएँगे
ना???"कृपया अपनी दौलत को धर्म के नाम पर
चढ़ावा चढ़ाने की बजाय किसी असहाय भूखे
को खाना खिलाकर पुण्य प्राप्त करें।इससे सारे जहाँ के मालिक
भी खुश होंगे और आप को भी सूकून
मिलेगा ।दिल को अगर यह मेसेज अच्छा लगा हो तो आप इसे शेयर
करें ताकि कोई भी बहन भूख के कारण अपने भाई के
मरने की दुआ ना करे।
आपको किसी भी प्रकार
की बाध्यता नहीं है कि 10 लोगों को यह
SMS FORWARD करो और तीन दिन में
आपकी मनोकामना पूरी होगी या इंकार
करने पर दो साल तक कोई भी अच्छा काम
नही होगा, ऐसा कुछ
भी नहीं है। बस एक
ज़िम्मेदारी है जिससे ज़िन्दगी ज़रूर खुशगवार
हो जाएगी।
Tuesday 30 December 2014
Happy new year 2015 advance.....
जिन्दगी का एक ओर वर्ष कम हो चला,
कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला..
कुछ ख्वाईशैं दिल मे रह जाती हैं..
कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं ..
कुछ छोड़ कर चले गये..
कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर मे ..
कुछ मुझसे बहुत खफा हैं..
कुछ मुझसे बहुत खुश हैं..
कुछ मुझे मिल के भूल गये..
कुछ मुझे आज भी याद करते हैं..
कुछ शायद अनजान हैं..
कुछ बहुत परेशान हैं..
कुछ को मेरा इंतजार हैं ..
कुछ का मुझे इंतजार है..
कुछ सही है
कुछ गलत भी है.
कोई गलती तो माफ कीजिये और
कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये।
💕💕 Happy Last 2 Days of Year 2014. 🙏🙏
कुछ ज्ञान की कहानिया पढ़े और पड़ने के साथ अपनी राय भी दे।
बहुत समय पहले की बात है , एक
राजा को उपहार में किसी ने बाज
के दो बच्चे भेंट किये ।
वे बड़ी ही अच्छी नस्ल के थे , और
राजा ने कभी इससे पहले इतने
शानदार बाज नहीं देखे थे।
राजा ने उनकी देखभाल के लिए एक
अनुभवी आदमी को नियुक्त कर
दिया।
जब कुछ महीने बीत गए
तो राजा ने बाजों को देखने का मन
बनाया , और उस जगह पहुँच गए
जहाँ उन्हें पाला जा रहा था।
राजा ने देखा कि दोनों बाज
काफी बड़े हो चुके थे और अब पहले से
भी शानदार लग रहे थे ।
राजा ने बाजों की देखभाल कर रहे
आदमी से कहा, ” मैं इनकी उड़ान
देखना चाहता हूँ , तुम इन्हे उड़ने का इशारा करो ।
“ आदमी ने
ऐसा ही किया।
इशारा मिलते ही दोनों बाज
उड़ान भरने लगे , पर जहाँ एक बाज
आसमान की ऊंचाइयों को छू
रहा था , वहीँ दूसरा , कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर आकर बैठ
गया जिससे वो उड़ा था।
ये देख ,
राजा को कुछ अजीब लगा.
“क्या बात है जहाँ एक बाज
इतनी अच्छी उड़ान भर रहा है वहीँ ये
दूसरा बाज उड़ना ही नहीं चाह रहा ?”,
राजा ने सवाल किया।
” जी हुजूर ,
इस बाज के साथ शुरू से
यही समस्या है , वो इस डाल
को छोड़ता ही नहीं।”
राजा को दोनों ही बाज प्रिय थे , और वो दुसरे बाज
को भी उसी तरह
उड़ना देखना चाहते थे।
अगले दिन पूरे
राज्य में ऐलान
करा दिया गया कि जो व्यक्ति इस
बाज को ऊँचा उड़ाने में कामयाब होगा उसे ढेरों इनाम
दिया जाएगा।
फिर क्या था , एक
से एक विद्वान् आये और बाज
को उड़ाने का प्रयास करने लगे , पर
हफ़्तों बीत जाने के बाद भी बाज
का वही हाल था, वो थोडा सा उड़ता और वापस
डाल पर आकर बैठ जाता।
फिर एक
दिन कुछ अनोखा हुआ , राजा ने
देखा कि उसके दोनों बाज आसमान
में उड़ रहे हैं। उन्हें अपनी आँखों पर
यकीन नहीं हुआ और उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति का पता लगाने
को कहा जिसने ये कारनामा कर
दिखाया था। वह व्यक्ति एक
किसान था।
अगले दिन वह दरबार में
हाजिर हुआ। उसे इनाम में स्वर्ण
मुद्राएं भेंट करने के बाद राजा ने कहा , ” मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ , बस तुम
इतना बताओ कि जो काम बड़े-बड़े
विद्वान् नहीं कर पाये वो तुमने कैसे
कर दिखाया।
“ “मालिक ! मैं तो एक
साधारण सा किसान हूँ , मैं ज्ञान
की ज्यादा बातें नहीं जानता , मैंने तो बस वो डाल काट दी जिसपर
बैठने का बाज आदि हो चुका था,
और जब वो डाल
ही नहीं रही तो वो भी अपने
साथी के साथ ऊपर उड़ने लगा। “
दोस्तों, हम सभी ऊँचा उड़ने के लिए ही बने हैं। लेकिन कई बार हम जो कर
रहे होते है उसके इतने आदि हो जाते हैं
कि अपनी ऊँची उड़ान भरने की , कुछ
बड़ा करने की काबिलियत को भूल
जाते हैं।
यदि आप भी सालों से
किसी ऐसे ही काम में लगे हैं जो आपके सही potential के मुताबिक
नहीं है तो एक बार ज़रूर सोचिये
कि कहीं आपको भी उस डाल
को काटने की ज़रुरत
तो नहीं जिसपर आप बैठे हैं ?
"Luck is what happens when preparation meets opportunity.". ये msg आपके पास जितने भी ग्रुप हो सभी में कर दीजिये ।और उनको भी आगे करने का बोल दीजिये । ।
मैंने तो 2 ग्रुप में फॉरवर्ड कर दिया
Monday 29 December 2014
कुछ जरुरी बाते जो भविस्य में आपके काम आ सकती हैं।
सरकारने विभिन्न ऑनलाईन सेवा शुरु की है 🔘
जिसे आप
http://www.india.gov.in/howdo
पेज पर जाकर अपने जरूरत की केटेगरी में
चुन सकते हैं,
🔘 उदाहरन के लिए कुछ इस प्रकार हैं🔘
* प्राप्त करे:
🔴1. जन्म प्रमाण
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=1
🔴2. जाति प्रमाण
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=4
🔴3. टोली प्रमाणपत्र
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=8
🔴4. अधिवास प्रमाणपत्र
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=5
🔴5. वाहन चालक प्रमाणपत्र
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=6
🔴6. विवाह प्रमाणपत्र
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=3
🔴7. मृत्यू प्रमाणपत्र
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=2
अर्ज करें :
🔴1. पॅन कार्ड
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=15
🔴2. Tan कार्ड
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=3
🔴3. रेशन कार्ड
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=7
🔴4. पासपोर्ट
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=2
🔴5. मतदाता सूची में नामंकन
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=10
रजिस्ट्रेशन:
🔴1. जमीन / मालमत्ता
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=9
🔴2. वाहन
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=13
🔴3. राज्य रोजगार एक्सचेंज
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=12
🔴4. नियोक्ता
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=17
🔴5. कंपनी
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=19
🔴6. .IN डोमेन
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=18
🔴7. GOV.IN डोमेन
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=25
चेक / ट्रॅक:
🔴1. केंद्र सरकार गृहनिर्माण प्रतीक्षा सूची स्थिती
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=9
🔴2. चोरी गये वाहन की स्थिती
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=1
🔴3. भूमि अभिलेख
http://www.india.gov.in/landrecords/index.php
🔴4. भारतीय न्यायालय
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=7
🔴5. न्यायालयों के आदेश (JUDIS)
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=24
🔴6. दैनिक कोर्ट ऑर्डर / प्रकरण स्थिती
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=21
🔴7. भारतीय संसद नियम
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=13
🔴8. परिक्षा परिणाम
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=16
🔴9. स्पीडपोस्ट स्थिती
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=10
🔴10. ऑनलाइन खेती बाजार भाव
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=6
पुस्तक / चित्र / लॉज:
🔴1. ऑनलाईन रेल्वे टिकट
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=5
🔴2. ऑनलाईन टिकट
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=4
🔴3. आयकर
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=12
🔴4. केंद्रीय दक्षता आयोग शिकायत (CVC हा)
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=14
योगदान:
🔴1. प्रधानमंत्री सहयोग निधी
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=11
एनी:
🔴1. इलेक्ट्रॉनिक पत्र
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=20
ग्लोबल नेव्हिगेशन
🔴1. नागरिक
http://www.india.gov.in/citizen.php
🔴2. व्यवसाय)
http://business.gov.in/
🔴3. ओव्हरसीज
http://www.india.gov.in/overseas.php
🔴4. सरकार
http://www.india.gov.in/govtphp
🔴5. भारत को जानें
http://www.india.gov.in/knowindia.php
🔴6. क्षेत्र
http://www.india.gov.in/sector.php
🔴7. संचयीका
http://www.india.gov.in/directories.php
🔴8. दस्तऐवज
http://www.india.gov.in/documents.php
🔴9. अर्ज
http://www.india.gov.in/forms/forms.php
🔴10. कायदे
http://www.india.gov.in/govt/acts.php
🔴11. नियम
http://www.india.gov.in/govt/rules.phpmoo
इसे अपने सभी मित्र और परिवार वालो को सेयर करे और खुद भी इसे सेव रखे।
किसी को भी कभी भी जरूरत पड़
सकती है।
धन्यवाद।।।।।।।
Sunday 28 December 2014
हिंदी का ज्ञान
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है
और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है
उसके पीछे कुछ कारण है ,
अंग्रेजी भाषा में ये
बात देखने में नहीं आती |
______________________
क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय
ध्वनि
कंठ से निकलती है।
एक बार बोल कर देखिये |
च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के
समय जीभ
तालू से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |
ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के
मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है।
एक बार बोल कर देखिये |
😀
त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के
समय
जीभ दांतों से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |
प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के
मिलने
पर ही होता है। एक बार बोल
कर देखिये ।
😀
________________________
हम अपनी भाषा पर गर्व
करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को
इसका कारण भी बताईये |
इतनी वैज्ञानिकता
दुनिया की किसी भाषा मे
नही है
जय हिन्द
क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें....
••••••••••••••••••••••••••••••••••••
क - क्लेश मत करो
ख- खराब मत करो
ग- गर्व ना करो
घ- घमण्ड मत करो
च- चिँता मत करो
छ- छल-कपट मत करो
ज- जवाबदारी निभाओ
झ- झूठ मत बोलो
ट- टिप्पणी मत करो
ठ- ठगो मत
ड- डरपोक मत बनो
ढ- ढोंग ना करो
त- तैश मे मत रहो
थ- थको मत
द- दिलदार बनो
ध- धोखा मत करो
न- नम्र बनो
प- पाप मत करो
फ- फालतू काम मत करो
ब- बिगाङ मत करो
भ- भावुक बनो
म- मधुर बनो
य- यशश्वी बनो
र- रोओ मत
ल- लोभ मत करो
व- वैर मत करो
श- शत्रुता मत करो
ष- षटकोण की तरह स्थिर रहो
स- सच बोलो
ह- हँसमुख रहो
क्ष- क्षमा करो
त्र- त्रास मत करो
ज्ञ- ज्ञानी बनो !!
कृपया इस ज्ञान की जानकारी सभी को अग्र प्रेषित करें । 🙏आप हिन्दी के अच्छे जानकार और समर्थक है इसलिए मुझे विश्वास हो रहा है कि इस जानकारी से अन्य लोगों को अवगत करायेंगे
Paheli bujo to jane
[01] एक राज़ बताना है आपको no.5 देखो.
[02] उत्तर no. 11 है.
[03] गुस्सा मत हो no.15 को देखो.
[04] शांत हो जाओ और no.13 को देखो
[05] अरे पहले no.2 को तो देखो।
[06] फिर गुस्सा हो रहे हो। No.12 को देखो
[07] बस advance happy new year
[08] जवाब no.14 पर है
[09] सब्र रखो और देखो no. 4.
[10] इस बार पक्के से no.7.
[11] आशा है की no.6 देख रहे होगे।
[12] माफ़ करना।। ज़रा no.8 देखना
[13] दिल थाम के रखो no.10 देखो
[14] हम्म मुझे लगता है की no. 3.
[15] आपको no.9 देखना चाहिए
हसन जरुरी हैं।
बीवी office से थोड़ा जल्दी घर पहुँची तो चुपचाप bedroom का दरवाजा खोला तो देखा कि कम्बल में 2 की बजाए 4 टाँगे नजर आ रही थी।. उसने आव देखा ना ताव, एक क्रिकेट का bat ऊठाया और ज़ोर-ज़ोर से मारना शुरू कर दिया। जब मार-मार के थक गयी तो पानी पीने kitchen में गयी ...... और देखा कि उसका पति बाहर balcony में बैठे magazine पढ़ रहा है।
पति बोला : तुम्हारे मम्मी-पापा आये हैं और मैंने उनको bedroom में
सुलाया है। जा के मिल लो ....
------------------------
Moral: और करो शक.
😀😀😀😀😀😀😀😀
😳😳
😂😅
हसन जरुरी हैं।
एक बार दो दोस्त गोरखपुर से दिल्ली जा रहे थे।डिब्बे में भीड़ ज्यादा थी तो उन्हें सीटनहीं मिल रही थी तो सीट के लिएउन्हें शरारत सूझी।उन्होंने अपने बैग से रबड़ का एक सांप निकाला और चुपके से डिब्बे में छोड़ दिया औरचिल्लाने लगे।सांप... सांप!थोड़ी देर में डिब्बा खाली हो गया और उन्होंनेजल्दी से बिस्तर जमाकर जगह रोक ली।सुबह जब आंख खुली, तो पांच बजेथे औरगाड़ी किसी स्टेशन पर खड़ी थी।उन्होंने खिड़की से बाहर झांककर रेलवे के कर्मचारी सेपूछा: यह कौन सा स्टेशन है?जवाब मिला: गोरखपुर।उन्होंने पूछा: क्या गाड़ी दिल्ली नहीं गई?कर्मचारी बोला: गाड़ी दिल्लीगई, लेकिनगाड़ी में सांप निकलने के कारण इस डिब्बे को काट दिया गया.।
कुछ ज्ञान की बाते हो जाये
एक बादशाह अपने गुलाम से बहुत प्यार करता था ।एक दिन दोनों जंगल से गुज़र रहे थे, वहां एक वृक्ष पर एकही फल लगा था । हमेशा की तरह बादशाह ने एक फांककाटकर गुलाम को चखने के लिये दी । गुलाम को स्वादलगी,उसने धीरे-धीरे सारी फांक लेकर खा ली और आखरी फांकभी झपट कर खाने लगा ।बादशाह बोला, हद हो गई ।इतना स्वादिष्ट।गुलाम बोला, हाँ बस मुझे ये भीदे दो । बादशाह सेना रहा गया, उसने आखरी फांक मुह में ड़ाल ली ।वो स्वाद तो क्या होनी थी, कडवी जहर थी ।बादशह हैरान हो गया और गुलाम से बोला, "तुम इतनेकड़वे फल को आराम से खा रहे थे और कोई शिकायतभी नहीं की ।" गुलाम बोला, "जब अनगिनत मीठे फलइन्ही हाथो से खाये और अनगिनत सुख इन्ही हाथो सेमिले तो इस छोटे से कडवे फल केलिये शिकायत कैसी ।"मालिक मैने हिसाब रखना बंद कर दिया है, अब तो मै इनदेने वालेहाथों को ही देखता हूँ ।।। बादशाह की आँखों में आंसू आगए । बादशाह ने कहा, इतना प्यार और उस गुलामको गले से लगा लिया ।।।
•••••••••हमे भी भगवान के हाथ से भेजे गये दुःख और सुखको ख़ुशी ख़ुशी कबूल करना चाहिये ।।।
"भगवान सेशिकायत नहीं करनी चाहिये... क्योंकि हो सकता है अगरभगवान ने आपसे कुछ बापस लिया हो शायद इसलिऐ लिया हो कि वो आपको उससे बड़ा देने की सोचरखा हो।।।इसलिऐ हर हाल में भगवान का धन्यवाद कीजिए"
Saturday 27 December 2014
एक जरुरी सुचना
Ye balak mila he abhi mumbai vasai thane me he please is foto ko dusre grup me send karo aap ki mehnat se sayad kisi ki santan vapas mil jaye
Bharat k anmol ratan
इन हस्तियों को मिला है भारत रत्न
क्रमांक नाम साल
1 चक्रवर्ती राजगोपालाचारी 1954
2 सी.वी. रमन 1954
3 सर्वपल्ली राधाकृष्णण 1954
4 भगवान दास 1955
5 एम. विसवेशरैय्या 1955
6 जवारहलाल नेहरू 1955
7 गोविंद वल्लभ पंत 1957
8 डी. केसव कर्वे 1958
9 बिधान चंद्र रॉय 1961
10 पुरुषोत्तम दास टंडन 1961
11 राजेंद्र प्रसाद 1962
12 जाकिर हुसैन 1963
13 पांडुरंग वामन काने 1963
14 लाल बहादुर शास्त्री 1966
15 इंदिरा गांधी 1971
16 वी.वी. गिरी 1975
17 के. कामराज 1976
18 मदर टेरेसा 1980
19 विनोवा भावे 1983
20 खान अब्दुल गफ्फार खान 1987
21 एम.जी. रामचंद्रन 1988
22 बी.आर. अंबेडकर 1990
23 नेल्सन मंडेला 1990
24 राजीव गांधी 1991
25 सरदार वल्लभभाई पटेल 1991
26 मोरारजी देसाई 1991
27 अब्दुल कलाम आजाद 1992
28 जे.आर.डी. टाटा 1992
29 सत्यजीत राय 1992
30 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 1997
31 गुलजारी लाल नंदा 1997
32 अरुणा आसफ अली 1997
33 एम.एस.सुबुलक्ष्मी 1998
34 चिदंबरम सुब्रमण्यम 1998
35 जयप्रकाश नारायण 1999
36 रवि शंकर 1999
37 अमर्त्य सेन 1999
38 गोपीनाथ बारदोलई 1999
39 लता मांगेशकर 2001
40 बिस्मिल्लाह खान 2001
41 भीमसेन जोशी 2008
42 प्रो. सी.एन.आर. राव 2013
43 सचिन तेंडुलकर 2013
44 पंडित मदन मोहन मालवीय 2014
45 अटल बिहारी वाजपेयी 2014.
दूध और पानी की मित्रता
पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया, जब दूध ने
पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा,मित्र तुमने अपने स्वरुप
का त्याग कर मेरे स्वरुप को धारण किया है अब मैं
भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा, दूध
बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है अब
मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै
चला जाऊँगा और दूध से पहले पानी उड़ता जाता है जब दूध मित्र
को अलग होते देखता है तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने
लगता है, जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से
मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है पर इस अगाध
प्रेम में थोड़ी सी खटास (निम्बू की दो चार बूँद ) डाल दी जाए
तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं थोड़ी सी मन कI खटास अटूट
प्रेम को भी मिटा सकती है ! इस खटास बच के रहन| |
आज से लगभग 74 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के 'पश्चिमी पंजाब प्रांत' के 'माण्टगोमरी ज़िले' में स्थित 'हरियाणा' के निवासियों को शायद इस बात का किंचित्मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की ज़मीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों के निर्माण में कर रहे हैं, वह कोई साधारण ईटें नहीं, बल्कि लगभग 5,000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित सभ्यता के अवशेष हैं। इसका आभास उन्हें तब हुआ जब 1856 ई. में 'जॉन विलियम ब्रन्टम' ने कराची से लाहौर तक रेलवे लाइन बिछवाने हेतु ईटों की आपूर्ति के इन खण्डहरों की खुदाई प्रारम्भ करवायी। खुदाई के दौरान ही इस सभ्यता के प्रथम अवशेष प्राप्त हुए, जिसे इस सभ्यता का नाम ‘हड़प्पा सभ्यता‘ का नाम दिया गया । खोज इस अज्ञात सभ्यता की खोज का श्रेय 'रायबहादुर दयाराम साहनी' को जाता है। उन्होंने ही पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक 'सर जॉन मार्शल' के निर्देशन में 1921 में इस स्थान की खुदाई करवायी। लगभग एक वर्ष बाद 1922 में 'श्री राखल दास बनर्जी' के नेतृत्व में पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के 'लरकाना' ज़िले के मोहनजोदाड़ो में स्थित एक बौद्ध स्तूप की खुदाई के समय एक और स्थान का पता चला। इस नवीनतम स्थान के प्रकाश में आने क उपरान्त यह मान लिया गया कि संभवतः यह सभ्यता सिंधु नदी की घाटी तक ही सीमित है, अतः इस सभ्यता का नाम ‘सिधु घाटी की सभ्यता‘ (Indus Valley Civilization) रखा गया। सबसे पहले 1927 में 'हड़प्पा' नामक स्थल पर उत्खनन होने के कारण 'सिन्धु सभ्यता' का नाम 'हड़प्पा सभ्यता' पड़ा। पर कालान्तर में 'पिग्गट' ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ों को ‘एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानियां‘ बतलाया। कुल 6 नगर अब तक भारतीय उपमहाद्वीप में इस सभ्यता के लगभग 1000 स्थानों का पता चला है जिनमें कुछ ही परिपक्व अवस्था में प्राप्त हुए हैं। इन स्थानों के केवल 6 को ही नगर की संज्ञा दी जाती है। ये हैं - 1. हड़प्पा 2. मोहनजोदाड़ो 3. चन्हूदड़ों 4. लोथल 5. कालीबंगा 6. हिसार 7. बणावली दुर्ग नगर की पश्चिमी टीले पर सम्भवतः सुरक्षा हेतु एक 'दुर्ग' का निर्माण हुआ था जिसकी उत्तर से दक्षिण की ओर लम्बाई 460 गज एवं पूर्व से पश्चिम की ओर लम्बाई 215 गज थी। ह्वीलर द्वारा इस टीले को 'माउन्ट ए-बी' नाम प्रदान किया गया है। दुर्ग के चारों ओर क़रीब 45 फीट चौड़ी एक सुरक्षा प्राचीर का निर्माण किया गया था जिसमें जगह-जगह पर फाटकों एव रक्षक गृहों का निर्माण किया गया था। दुर्ग का मुख्य प्रवेश मार्ग उत्तर एवं दक्षिण दिशा में था। दुर्ग के बाहर उत्तर की ओर 6 मीटर ऊंचे 'एफ' नामक टीले पर पकी ईटों से निर्मित अठारह वृत्ताकार चबूतरे मिले हैं जिसमें प्रत्येक चबूतरे का व्यास क़रीब 3.2 मीटर है चबूतरे के मध्य में एक बड़ा छेद हैं, जिसमें लकड़ी की ओखली लगी थी, इन छेदों से जौ, जले गेहूँ एवं भूसी के अवशेष मिलते हैं। इस क्षेत्र में श्रमिक आवास के रूप में पन्द्रह मकानों की दो पंक्तियां मिली हैं जिनमें सात मकान उत्तरी पंक्ति आठ मकान दक्षिणी पंक्ति में मिले हैं। प्रत्येक मकान में एक आंगन एवं क़रीब दो कमरे अवशेष प्राप्त हुए हैं। ये मकान आकार में 17x7.5 मीटर के थे। चबूतरों के उत्तर की ओर निर्मित अन्नागारों को दो पंक्तियां मिली हैं, जिनमें प्रत्येक पंक्ति में 6-6 कमरे निर्मित हैं, दोनों पंक्तियों के मध्य क़रीब 7 मीटर चौड़ा एक रास्ता बना था। प्रत्येक अन्नागार क़रीब 15.24 मीटर लम्बा एवं 6.10 मीटर चौड़ा है। विशेष इमारतें- सिंधु घाटी प्रदेश में हुई खुदाई कुछ महत्त्वपूर्ण ध्वंसावशेषों के प्रमाण मिले हैं। हड़प्पा की खुदाई में मिले अवशेषों में महत्त्वपूर्ण थे - 1. दुर्ग 2. रक्षा-प्राचीर 3. निवासगृह 4. चबूतरे 5. अन्नागार आदि । सभ्यता का विस्तार अब तक इस सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान और भारत के पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के भागों में पाये जा चुके हैं। इस सभ्यता का फैलाव उत्तर में 'जम्मू' के 'मांदा' से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने 'भगतराव' तक और पश्चिमी में 'मकरान' समुद्र तट पर 'सुत्कागेनडोर' से लेकर पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ तक है। इस सभ्यता का सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल 'सुत्कागेनडोर', पूर्वी पुरास्थल 'आलमगीर', उत्तरी पुरास्थल 'मांडा' तथा दक्षिणी पुरास्थल 'दायमाबाद' है। लगभग त्रिभुजाकार वाला यह भाग कुल क़रीब 12,99,600 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। सिन्धु सभ्यता का विस्तार का पूर्व से पश्चिमी तक 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक 1400 किलोमीटर था। इस प्रकार सिंधु सभ्यता समकालीन मिस्र या 'सुमेरियन सभ्यता' से अधिक विस्तृत क्षेत्र में फैली थी।
कुछ इतिहास की जानकारी
Friday 26 December 2014
आज का पंचांग
mobike se judi kuchh khash jankari
जिसने मेरे देश को लूटा उनकें त्योंहार मनाउं कैसे जिस पेड़ के कोई गुण न हो उस पेड़ को सजाउं कैसे जब न दी बधाई उसने होली और दिवाली की उनको बधाई देने के लिये अपने मन को समझाउं कैसे।।🙏
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं हर कोई है घर में दुबका हुआ नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं चंद मास अभी इंतज़ार करो निज मन में तनिक विचार करो नये साल नया कुछ हो तो सही क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही उल्लास मंद है जन -मन का आयी है अभी बहार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो प्रकृति दुल्हन का रूप धार जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय गान सुनाया जायेगा युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध आर्यों की कीर्ति सदा -सदा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अनमोल विरासत के धनिकों को चाहिये कोई उधार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं …………....
.......JAY HIND.......