Wednesday 4 February 2015

पाद के प्रकार

'पादना' बुरी बात नहीं है भाई!!

आज में ऐसे विषय पर बात कर रहा हूँ जो इंसान के इस पृथ्वी पर आगमन के समय से ही सदा बेहद
उपयोगी परन्तु बेहद उपेक्षित विषय रहा है, और जिसका नाम लेना भी उसी तरह असभ्यता समझी जाती है।

इसको बच्चा बच्चा जानता है..? क्योंकि पाद ऐसा होता है
जो शुरु से ही बच्चों का मनोरंजन करता है ।
और इसीलिये बच्चे
कहीं भी पाद देते हैं..?? तब उन्हें बङे सिखाते हैं कि बेटा यूँ अचानक कहीं भी पाद देना उचित नहीं हैं..??
अब इन बङों को कौन सिखाये
कि पादा भी क्या अपनी इच्छा से
आता है..?? अरे वो तो खुद ही आता है।

अगर प्रधानमंत्री को भरी सभा में पाद आये तो पादेंगे नहीं क्या..? इसलिये पाद पर किसी तरह का नियंत्रण संभव
ही नहीं है ।
आपका यदि डाक्टरी चेकअप हो । तो ध्यान दें । डाक्टर ने
आपसे यह सवाल भी अवश्य
किया होगा कि पाद ठीक से
आता है... ?
क्योंकि डाक्टर जानता है कि पाद चेक
करने की अभी तक कोई अल्ट्रासाउंड
या एम.आर. आई. जैसी मशीन
नहीं बनी...? ये तमाम चूरन - चटनी
हाजमोला जैसी गोलियों का करोङों रुपये का कारोबार केवल इसी बिन्दु पर तो निर्भर है कि जनता ठीक से
पादती रहे ?

यदि आपको दिन में 4 बार और रात को लगभग 10 बार अलग
अलग तरह के पाद नहीं आते । तो आपके ये पाउडर लिपिस्टिक
सब बेकार है । क्योंकि अन्दर से
आपका सिस्टम बिगङ रहा है ।

यदि लिवर ही ठीक से काम नहीं कर रहा तो अन्य अंगो को पोषण कहाँ से मिलेगा ।
इसलिये पादने में संकोच न करें और खूब पादें।

क्योंकि पादना बुरी बात नहीं है भाई..?

पादों के प्रकार
पादों के पांच प्रकार होते हैं:-

1- पादों का राजा है "भोंपू" हमारे पूर्वज इसे उत्तम पादम् कहते थे।यह घोषणात्मक और मर्दानगी भरा होता है।इसमें आवाज मे धमक ज्यादा और बदबू कम होती है।अतएव
जितनी जोर आवाज उतना कम बदबू

2- 'शहनाई' - हमारे पूर्वजो ने इसे
मध्यमा ही कहा है।
इसमें से आवाज निकलती है ठें ठें या कहें पूंऊऊऊऊऊ

3- 'खुरचनी'- जिसकी आवाज पुराने कागज के सरसराहट जैसी होती है। यह एक बार में नई निकलती है। यह एक के बाद एक कई 'पिर्र..पिर्र..पिर्र..पिर्र' की आवाज के साथ आता है।
यह ज्यादा गरिष्ठ खाने से होता है।

4- 'तबला' - तबला अपनी उद्घोषणा केवल एक फट
के आवाज के साथ करता है।।तबला एक खुदमुख्तार पाद है क्योंकि यह अपने मालिक के
इजाजत के बगैर ही निकल जाता है। अगर बेचारा लोगों के बीच बैठा हो तो शर्म से पानी-पानी हो जाता है।

5- 'फुस्कीं' - यह एक निःशब्द 'बदबू बम ' है ।
चूँकि इसमें आवाज नई होती है इसलिए ये पास
बैठे व्यक्ति को बदबू का गुप्त दान देने के लिए बढ़िया है और दान देने वाला अपने नाक को बंद कर के मैने नई पादा है का दिखावा बङे
आसानी से कर सकता है । लेकिन गुप्त दान देने के बाद जापानी कहावत "जो बोला , सो पादा"
याद रखते हुए लोगों को खुद ही दाता को ताङने दीजिए । आप मत बोलिए।

अब  पाद की श्रेणी निर्धारित करते हुए पाद का आनन्द उठाइये।

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